विज्ञान के सवाल जिन्हें जानना जरूरी है।

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Vigyan Ke Sawal

हम अपने आस-पास बहुत सी ऐसी चीजों को देखते जो हम नही कर सकते या फिर वो हमारे द्वारा नही होते और हम सोचते है कि ऐसा क्यों और कैसे होता है जैसे :- " जुकाम हो जाने पर हमारी नाक से गंध का अनुभव होना बंद क्यों हो जाता है ?, छिपकलियां दीवारों पर चिपक कर कैसे चल लेती हैं?, चींटी एक लाइन में कैसे चलती हैं ?, आसमान में बिजली क्यों चमकती है ?, हमें किसी चीज के स्वाद का पता कैसे चलता है ? " तो आज हम इन्ही सवालों के जबाब आगे देंगे।

विज्ञान के सवाल

जुकाम हो जाने पर हमारी नाक से गंध का अनुभव होना बंद क्यों हो जाता है ?

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गंध को सूंघने का कार्य हमारी नाक द्वारा होता है जब हम किसी गंध को सूंघते हैं तो हमारी नाक की तंत्रिकाओं के मध्यम से गंध की सूचना हमारे मस्तिष्क को पहुचती हैं जिससे हमे गंध की जानकारी मिलती है
 परन्तु जुकाम होने पर सन्देश पहुचने वाली  तंत्रिकाओं के सिरे श्लेष्मा के कारण बंद हो जाते हैं जिससे गंध की जानकारी हमारे मस्तिष्क को नहीं पहुंच पाती हैं इसी कारण हमे जुकाम हो जाने पर हमारी नाक से गंध का अनुभव होना बंद हो जाता है.


छिपकलियां दीवारों पर चिपक कर कैसे चल लेती हैं ?


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छिपकली के पैर छोटे छोटे और शरीर बेलनाकर होता है  इनके पैरो की बनावट कुछ ऐसी होती है कि जब छिपकली दीवार के ऊपर चलती है तो उनके पैरो और दीवार के बीच निर्वात अर्थात शुन्य पैदा हो जाता है जिस कारण उनके पैर दीवार पर चिपक जाते हैं बाहरी हवा का दबाव भी उसे  दीवार पर चलने में सहायक होता हैं।


चींटी एक लाइन में कैसे चलती हैं ?




चींटी एक लाइन में कैसे चलती हैं ?, Vigyan ke sawal shoutuse

चींटियों में कुछ ग्रंथिया होती हैं जिनसे फ़ैरोमोंस नामक रसायन निकलते हैं। इन्ही के जरिये वो एक दूसरे के संपर्क में रहती हैं चीटियां के दो स्पर्श श्रंगिकाएं या एंटीना होते हैं जिनसे वो सूंघने का काम करती हैं। रानी चींटी भोजन की तलाश में निकलती है तो फ़ैरोमोंस छोड़ती जाती है।
दूसरी चींटिया अपने एंटीना से उसे सूंघते हुई रानी चींटी ल पीछे-पीछे चली जाती है. जब रानी चींटी एक खास फैरोमोन बनाना बंद कर देती है तो चीटियाँ, नई चींटी को रानी चुन लेती है। फ़ैरोमोंस का प्रयोग और बहुत सी स्थियियों में होता है, जैसे अगर कोई चींटी कुचल जाए तो चेतावनी में फैरोमोन का रिसाव करती है जिससे बाकी चींटियाँ हमले के लिए तैयार हो जाती हैं। फैरोमोन से यह भी पता चलता है कि कौन सी चींटी किस कार्यदल का हिस्सा है।




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आसमान में बिजली क्यों चमकती है ?

आसमान में बिजली क्यों चमकती है ?, Vigyan ke sawal shoutuse

बादलों में नमी होती है। यह नमी बादलों में जल के बहुत बारीक कणों के रूप में होती है। हवा और जलकणों के बीच घर्षण होता है। घर्षण से बिजली पैदा होती है और जलकण आवेशित हो जाते हैं यानि चार्ज हो जाते हैं।
बादलों के कुछ समूह धनात्मक तो कुछ ऋणात्मक आवेशित होते हैं। धनात्मक और ऋणात्मक आवेशित बादल जब एक-दूसरे के समीप आते हैं तो टकराने से अति उच्च शक्ति की बिजली उत्पन्न होती है। 


हमें किसी चीज के स्वाद का पता कैसे चलता है ?


हमें किसी चीज के स्वाद का पता कैसे चलता है ?, Vigyan ke sawal shoutuse

जीभ हमें स्वाद का ज्ञान कराती है। जीभ मुँह के भीतर स्थित है। यह पीछे की ओर चौड़ी और आगे की ओर पतली होती है। यह मांसपेशियों की बनी होती है। इसका रंग लाल होता है। इसकी ऊपरी सतह को देखने पर हमें कुछ दानेदार उभार दिखाई देते हैं, जिन्हें स्वाद कलिकाएं कहते हैं। 
ये स्वाद कलिकाएं कोशिकाओं से बनी है। इनके ऊपरी सिरे से बाल के समान तंतु निकले होते हैं। ये स्वाद कलिकाएं चार प्रकार की होती है, जिनके द्वारा हमें चार प्रकार की मुख्य स्वादों का पता चलता है। मीठा, कड़वा, खट्टा और नमकीन।
जीभ का आगे का भाग मीठे और नमकीन स्वाद का अनुभव कराता है। पीछे का भाग कड़वे स्वाद का और किनारे का भाग खट्टे स्वाद का अनुभव कराता है। जीभ का मध्य भाग किसी भी प्रकार के स्वाद का अनुभव नहीं कराता, क्योंकि इस स्थान पर स्वाद कलिकाएं प्रायः नहीं होती है।
स्वाद का पता लगाने के लिए भोजन का कुछ अंश लार में घुल जाता है और स्वाद-कलिकाओं को सक्रिय कर देता है। खाद्य पदार्थों द्वारा भी एक रासायनिक क्रिया होती है, जिससे तंत्रिका आवेग पैदा हो जाते हैं। ये आवेग मस्तिष्क के स्वाद केंद्र तक पहुँचते हैं और स्वाद का अनुभव देने लगते हैं। इन्हीं आवेगों को पहचान कर हमारा मस्तिष्क हमें स्वाद का ज्ञान कराता है।

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